वृंदावन के साथ-साथ पूरे ब्रज में होली की तैयारियां जोर शोर से किया जा रहा है। इस बार उत्तर प्रदेश के ब्रिज और बरसाने में टेसू के फूलों से बनी रंगों से होली खेली जाएगी।इन फूलों को मध्य प्रदेश और बरसाने से मंगाया जाएगा। वैसे तो होली में तरह-तरह के रंगों का प्रयोग किया जाता है लेकिन आज भी बरसाने और ब्रज में पारंपरिक रंगों का ही प्रयोग होली खेलने के लिए किया जाता है।यहां होली से कई दिन पहले से मंदिरों में प्रकृति से मिले फूलों से रंग को तैयार किया जा रहा है।

आपको बता दें कि पलाश के पेड़ों पर आने वाले टेसू के फूल बहुत ही आकर्षक और गुणकारी होते हैं। पूरे देश में पलाश के फूलों का उपयोग होली के रंग को छुड़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन बरसाने और गोकुल मथुरा में इसके ऊपर फूलों से बने रंगों से होली खेली जाती है। पलाश के पेड़ों पर टेसू के फूल बसंत ऋतु में खिलते हैं।

पलाश के पेड़ तीन प्रकार के होते हैं जिस पर सफेद,पीले और नारंगी रंग के फूल खिलते हैं। पलाश का फूल मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के मुरैना,शिवपुरी और भिंड में उगाया जाता है। हर साल होली में मध्य प्रदेश से टेसू और प्लस के फूल मंगाया जाते हैं।

कहां कितने टेसू के फूल मंगाए गए-

बरसाना के राधा रानी मंदिर के संजय गोस्वामी ने होली की तैयारियों की जानकारी देते हुए बताया कि इस बार हाथरस से टेसू के फूल मंगाए गए हैं। प्राकृतिक फूलों से रंग बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इस बार राधा रानी मंदिर में 2 कुंतल 20 किलो टेसू के फूल मंगाए गए हैं तो नंदगांव में करीब दो कुंतल मंगाए गए हैं। इसी तरह द्वारिकाधीश मंदिर में 5 कुंतल, बांके बिहारी मंदिर में दो कुंतल, रमणरेती मंदिर में 4 कुंतल टेसू के फूल मंगाए गए हैं। इसी तरह ब्रज के सभी मंदिरों में बड़ी मात्रा में टेसू के फूल मंगाए गए हैं।