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कठिन संघर्ष के बाद भी नहीं मानी हार,छोटे से गांव की हिंदी मीडियम से पढ़ने वाली लड़की बनी IAS,जानिए सुरभि की कहानी

मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव सतना में जब बेटियों का जन्म होता था तब रूढ़िवादी सोच के लोग काफी मायूस हो जाते थे।
लेकिन सतना में एक ऐसा परिवार भी था जिसके यहां जब बेटी का जन्म हुआ तब उन लोगों ने ढोल नगाड़ों से उसका स्वागत किया और खूब खुशियां मनाई।

उन्होंने नाम रखा- सुरभि! सुरभि गौतम की खुशकिस्मती यह थी कि माता-पिता, दोनों शिक्षा का मोल समझते थे। परिवार के अन्य बच्चों की तरह गांव के सरकारी स्कूल में सुरभि का भी दाखिला हुआ। सुरभि का एडमिशन हिंदी मीडियम स्कूलों में हो गया और वह लगातार कमाल करती रही लेकिन परिवार वालों के लिए यह कोई खास बात नहीं थी।

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सुरभि ने दसवीं की परीक्षा में भी काफी अच्छे नंबर लाए लेकिन इसी बीच उनके जोड़ों में दर्द उठने लगा। जोड़ों का दर्द पूरे शरीर में धीरे धीरे पूरे शरीर में फैल गया।

स्थानीय डॉक्टर की सलाह पर माता-पिता सुरभि को लेकर जबलपुर भागे। वहां विशेषज्ञ डॉक्टर ने कहा, सुरभि को ‘रूमैटिक फीवर’ है। यह बीमारी हृदय को नुकसान पहुंचाती है और कुछ मामलों में मृत्यु भी हो जाती है। यह सुनकर सुरभि के माता-पिता काफी हैरान हो गए।

सुरभि का अंग्रेजी काफी कमजोर था जिसके कारण उन्हें कई तरह की जिल्लत झेलनी पड़ी। 2016 की सिविल सर्विस परीक्षा में पहले प्रयास में 50वीं रैंक पाने वाली सुरभि कहती हैं- कोई भाषा दीवार नहीं होती, ठान लीजिए तो वह आपके अधिकार में होगी। सुरभि की कहानी साबित करती है कि हम कोशिश करें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है।

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