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कारगिल विजय दिवस 2022:वीर शहीदों को सलाम,कारगिल के वह 85दिन,जानिये कैसे लड़े थे हमारे बहादुर जवान

आज का दिन हम भारतीयों के लिए काफी खास है क्योंकि आज के दिन ही हमारे देश के वीर बेटों ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ कर भगा दिया था। कारगिल विजय दिवस यानी 26 जुलाई आज के दिन को कौन भूल सकता है। हमारे देश के कई पिटायो ने अपना बेटा खोया था और कई पत्नियों के मांग की सिंदूर मिट गई थी और कई बच्चे अनाथ हो गए थे।

सामने परिवार का चेहरा था लेकिन हमारे देश के वीर बेटों ने हार नहीं मानी और देश के लिए अपनी जान निछावर कर दिया। यह दिन हम भारतीयों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं है क्योंकि इस दिन ही कारगिल पर हमारे देश के वीर बेटों ने विजय हासिल किया था और यह दिखा दिया था कि भारत अब कमजोर नहीं है।

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कारगिल की ऊंची चोटियों को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद करवाते हुए बलिदान देने वाले देश के वीर सपूतों की याद में हर साल कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) हर साल 26 जुलाई को 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) पर भारत (India) की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को भगाने के लिए “ऑपरेशन विजय” (Operation Vijay) के हिस्से के रूप में टाइगर हिल (Tiger Hills) और अन्य चौकियों पर कब्जा करने में सफल रही।

लद्दाख के कारगिल पर 60 दिनों से अधिक समय तक पाकिस्तानी सेना के साथ लड़ाई जारी रही। और अंततः हमारे देश के वीर बेटों ने कामयाबी हासिल कर ही लिया। भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान में आज पूरे देश के लोग इस दिन को याद करते हैं और हमारे वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं।

कारगिल युद्ध का इतिहास

1971 के भारत-पाक युद्ध (1971 India Pakistan War) के बाद से दोनों देशों के बीच कई सशस्त्र युद्ध हुए हैं. 1998 में दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण किए गए. लाहौर घोषणा में कश्मीर समस्या (Kashmir Issue) के शांतिपूर्ण समाधान का वादा किया गया था, जिस पर दोनों देशों ने स्थिति को शांत करने के लिए फरवरी 1999 में हस्ताक्षर किए थे. नियंत्रण रेखा के पार भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठ को ऑपरेशन बद्र नाम दिया गया था. इसका उद्देश्य भारत को कश्मीर विवाद को निपटाने के लिए मजबूर करते हुए कश्मीर और लद्दाख के बीच संबंध तोड़ना था.

मंगल पांडे और शेरशाह यानी विक्रम बत्रा की बहादुरी को कोई भूल नहीं सकता है। इसके साथ ही साथ और भी कई बहादुर बेटे थे जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपना सहयोग दिया और भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिखाया।

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