बच्चों से मजदूरी कराने वाले लोगों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत ही ज्यादा सख्त दिख रहे हैं और ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार बाल श्रम को रोकने के लिए सजा और जुर्माने के प्रावधान को कड़े करने जा रही है।
अब बाल मजदूरी का मामला पकड़े जाने पर नियोक्ता को एक साल की सजा हो सकती है। वहीं, उसे 60 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। बाल श्रम अधिनियम की राज्य नियमवाली में बदलाव का मसौदा तैयार है। इसे राज्य स्तरीय समिति अनुदान दे चुकी है। कैबिनेट की मुहर लगने के बाद नए बदलाव प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू कर दिए जाएंगे।
प्रावधानों में होने जा रहा बदलाव-
वैसे तो कारखानों या दुकानों में नाबालिगों को नौकरी पर रखने पर मनाही है। लेकिन अगर फिर भी कोई बच्चों को नौकरी पर रखता है तो सरकार अब उनके लिए नया प्रावधान बनाने वाली है और अब पहले से अधिक जुर्माना और सजा होगा।
अभी तक बाल श्रम का मामला पकड़ में आने से 20 हजार रुपये तक का जुर्माना लिए जाने का प्रावधान था। अब इस राशि को बढ़ाकर 60 हजार रुपये कर दिया गया है। सजा भी तीन महीने से बढ़ाकर एक साल तक किए जाने का प्रावधान है। सजा और जुर्माना बढ़ाए जाने के पीछे की मंशा बाल श्रम को रोकना है।
सरकार बच्चों को उत्तर प्रदेश में शिक्षित करना चाहते हैं और इसके लिए बाल मजदूरी रोकना सरकार की प्राथमिकता बन गई है। उत्तर प्रदेश में बाल मजदूरी रोकने के लिए लगातार प्रयत्न किया जा रहे हैं।