पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने 41 एक्सप्रेस ट्रेनों में एक पावरकार हटाकर 1271 सीटें बढ़ा ली है। एक पावरकार की जगह लगने वाली सीटिंग कम लगेज वैन (एसएलआर) कोचों में चार टन पार्सल के लिए भी अतिरिक्त जगह मिल जा रही है। इससे बचत के साथ रेलवे की आय भी बढ़ गई है। यह सभी ट्रेनें गोरखपुर सहित पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न रूटों पर कुल 56 रेक से चलाई जा रही हैं। सीटें बढ़ने से वेटिंग लिस्ट के यात्रियों को काफी राहत मिलेगी।
चार माह में 3.96 करोड़ लोगों ने की यात्रा, 90 प्रतिशत से अधिक हुआ ट्रेनों का समय पालन
अभी तक ट्रेनों की रेक में डीजल चालित दो पावरकार लगती थीं, लेकिन अब ट्रेनों के इलेक्ट्रिक इंजन के हेड आन जनरेशन सिस्टम (एचओजी) से कोचों में पावर की सप्लाई हो जा रही है। ट्रेनों की रेक में अब सिर्फ विकल्प के रूप में एक पावरकार लग रही है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार गाड़ियों का समय पालन भी बेहतर हुआ है। अब पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनों का समय पालन 90 प्रतिशत से अधिक हो गया है। यानी, ट्रेनें समय से गंतव्य पर पहुंचने लगी हैं।
दो की जगह लग रही एक पावरकार, चार टन पार्सल के लिए भी मिल जा रही अतिरिक्त जगह
ट्रेनों की रेक में अति आधुनिक लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोच लगने से लोगों की यात्रा भी आरामदायक हो गई है। पूर्वोत्तर रेलवे में आधुनिक तकनीक की 62 एलएचबी कोच वाली रेक से 92 ट्रेनें चलाई जा रही हैं।
बैलेंस ड्राफ्ट गियर का होगा प्रयोग, झटके कम लगेंगे
इन ट्रेनों की एलएचबी कोचों में यात्रा के दौरान लगने वाले जर्क (झटका) को कम करने के लिए बैलेंस ड्राफ्ट गियर का प्रयोग किया गया गया है। आरामदायक सफर और अतिरिक्त सुविधाओं के चलते यात्रियों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। इस वित्त वर्ष में चार माह में जुलाई तक लगभग 3.96 करोड़ लोगों ने यात्रा की है।