भले ही पिछले महीने से लागू नए टैरिफ से बिजली महंगी नहीं हुई है लेकिन अब आपको 35 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा देना पड़ सकता है। बिजली कंपनियां ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बिजली महंगी करने संबंधी प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है। हालांकि, आयोग ने प्रस्ताव पर जहां सवाल उठाए हैं वहीं उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने भी इसका विरोध करते हुए कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 25,133 करोड़ रुपये के एवज में बिजली सस्ती किए जाने की फिर मांग की है।
बिजली कंपनियों ने अप्रैल, मई और जून की तिमाही में ज्यादा महंगी बिजली खरीदने के लिए 1028 करोड़ रुपये फ्यूल सरचार्ज के तौर पर उपभोक्ताओं से वसूलने संबंधी प्रस्ताव आयोग में सौंपा है। पावर कारपोरेशन के निदेशक (वाणिज्यिक) की ओर से रेगुलेशन के तहत आयोग में दाखिल प्रस्ताव अनुमोदित किए जाने की दशा में 35 पैसे प्रति यूनिट बिजली सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए महंगी हो जाएगी।
इस संबंध में कारपोरेशन द्वारा बुधवार को आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व अन्य के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया गया। सूत्रों के मुताबिक आयोग, कारपोरेशन के प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं है। जिस तरह से फ्यूल सरचार्ज निकाला गया उस पर आयोग ने सवाल उठाए हैं।
जानकारों का कहना है कि कारपोरेशन के प्रस्ताव को आयोग यूं ही अनुमोदित करता नहीं दिख रहा है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 35 पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी करने के प्रस्ताव पर विरोध जताते हुए कहा कि रेगुलेशन के तहत इसे लागू करने से पहले उपभोक्ताओं से राय लेनी होगी। वैसे भी 25,133 करोड़ में 3088 करोड़ रुपये तो वर्ष 2020-21 के ही कंपनियों पर सरप्लस निकल रहे हैं।
ऐसे में 25 पैसे प्रति यूनिट का लाभ उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए। वर्मा ने बताया कि फ्यूल सरचार्ज लगाए जाने की दशा में सरप्लस राशि से फ्यूल सरचार्ज से मिलने वाले अतिरिक्त राजस्व को घटाया जाना चाहिए जिससे बिजली बिल्कुल महंगी न होने पाए। परिषद अध्यक्ष के मुताबिक आयोग के चेयरमैन ने उन्हें आश्वस्त किया है कि सभी पहलुओं और नियमों को देखते हुए ही वह कोई कार्यवाही करेंगे।